ज़िंदगी का "ऑप्टिमम यूटिलाइजेशन
महाभारत में यक्ष ने युधिष्ठिर से प्रश्न किया, "हे युधिष्ठिर, बताओ इस संसार में सबसे अजीब बात क्या है?" परमज्ञानी युधिष्ठिर ने जवाब दिया, "हे यक्ष, यह संसार मृत्युलोक है। यहाँ हर चीज़ नाश्वान है। हर किसी को एक निश्चित दिन मृत्यु का ग्रास अवश्य बनना है। हर शख़्स दूसरों की मौतें देख रहा है पर उसे यह वहम है कि वह कभी नहीं मरेगा। यही सबसे अजीब बात है।" हाल ही में हुई दर्दनाक वारदातें हमें फिर से आगाह करती है कि मौत ना उम्र देखती है, ना ज़ात, ना रूतबा। जिस्म की मौत अटल सत्य है। इसमे कोई शक नहीं है। मेरे कई अज़ीज़ों ने मेरे सामने, मेरी ही बाहों में अपने शरीर छोड़े। बेहद ज़रूरी यह जानना है कि रही-सही ज़िंदगी को सही तरीके से कैसे जिएं। अर्थशास्त्र में एक शब्दावली है "ऑप्टिमम यूटिलाइजेशन"। इसका मतलब है संसाधनों का सबसे अच्छा, सबसे प्रभावी उपयोग करना ताकि लाभ ज़्यादा से ज़्यादा प्राप्त हो और नुकसान कम से कम। ठीक ऐसे ही हमें ज़िंदगी का भी "ऑप्टिमम यूटिलाइजेशन" करना चाहिए ताकि हमें ज़्यादा से ज़्यादा नफ़ा मिल सके। कुछ लोगों को यह ग़लत-फ़हमी है कि जिं...