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सुकून कहाँ है?

  ना सुकून जगहों में है ना वज़हों में,  ना सुकून लोगों में है ना भोगों में,  ना सुकून शबाब में है ना शराब में,  ना सुकून औलाद में है ना जायदाद में,  ना सुकून स्वाद में है ना स्पर्श में,  ना सुकून अर्श में है ना फ़र्श में,  ना सुकून शिखरों में है ना समंदर में,  अगर सुकून है तो सिर्फ आपके ही अंदर में,  मन को अपने संभाल लो तो सुकून मिलेगा,  ख़्वाहिशों को अपनी थाम लो तो सुकून मिलेगा,  हरदम हरि का नाम लो तो सुकून मिलेगा।  अर्श : आकाश, फ़र्श : ज़मीन, शिखरों : पहाड़ों ~ संजय गार्गीश ~ 

ज़िन्दगी का मक़सद

 ✴️✴️✴️ ज़िन्दगी का मक़सद ✴️✴️✴️   अपनी ज़िन्दगी को नहीं गंवाता हूँ मैं,  कोई मक़सद ना मंसूबा बनाता हूँ मैं।  कभी सबा में, कभी धूप में नहाता हूँ मैं,  ज़िंदा हूँ इसी बात का जश्न मनाता हूँ मैं।  ज़िन्दगी बोझिल ना हो जाए इसलिए,  ठहरता नही बस चलता ही जाता हूँ मैं। कहाँ हर सफ़र को मंज़िल मिलती है,  हर सफ़र का मगर लुत्फ़ उठाता हूँ मैं।  मंसूबा : योजना  सबा : सुबह के वक्त चलने वाली ठंडी हवा  ~ संजय गार्गीश ~