सुकून कहाँ है?

 



ना सुकून जगहों में है ना वज़हों में, 


ना सुकून लोगों में है ना भोगों में, 


ना सुकून शबाब में है ना शराब में, 


ना सुकून औलाद में है ना जायदाद में, 


ना सुकून स्वाद में है ना स्पर्श में, 


ना सुकून अर्श में है ना फ़र्श में, 


ना सुकून शिखरों में है ना समंदर में, 


अगर सुकून है तो सिर्फ आपके ही अंदर में, 


मन को अपने संभाल लो तो सुकून मिलेगा, 


ख़्वाहिशों को अपनी थाम लो तो सुकून मिलेगा, 


हरदम हरि का नाम लो तो सुकून मिलेगा। 



अर्श : आकाश, फ़र्श : ज़मीन, शिखरों : पहाड़ों



~ संजय गार्गीश ~ 










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