ज़िन्दगी का मक़सद
✴️✴️✴️ ज़िन्दगी का मक़सद ✴️✴️✴️
अपनी ज़िन्दगी को नहीं गंवाता हूँ मैं,
कोई मक़सद ना मंसूबा बनाता हूँ मैं।
कभी सबा में, कभी धूप में नहाता हूँ मैं,
ज़िंदा हूँ इसी बात का जश्न मनाता हूँ मैं।
ज़िन्दगी बोझिल ना हो जाए इसलिए,
ठहरता नही बस चलता ही जाता हूँ मैं।
कहाँ हर सफ़र को मंज़िल मिलती है,
हर सफ़र का मगर लुत्फ़ उठाता हूँ मैं।
मंसूबा : योजना
सबा : सुबह के वक्त चलने वाली ठंडी हवा
~ संजय गार्गीश ~
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