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Showing posts from April, 2025

मग़रूरी बे-बुनियाद है

 ◦•●◉✿   मग़रूरी बे-बुनियाद है   ✿◉●•◦ अमूमन दो चीज़ें पर मै लोगों से, ख़ासकर अपने अज़ीज़ों से बहस नहीं करता : पॉलिटिक्स और धर्म।  दोनों ही विवाद पैदा करती है, दोस्ती को दुश्मनी में तब्दील कर देती है।  लेकिन कई दफ़ा हालात मजबूर कर देते है कि मैं हकीकत से रूबरू करवाऊं।  कल अचानक मेरी मुलाकात एक जानकार, जो एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी है, से मुद्दत बाद हुई।  बातचीत के दौरान उन्होंने शेखी बघारी, "शर्मा जी, मेरी समझ में नहीं आता कि लोग अपना कीमती समय पूजा-पाठ करने में क्यों बरबाद करते हैं। मैं ईश्वर में विश्वास नहीं करता, न ही मैंने कभी किसी पूजा-पाठ स्थल पर जाकर इबादत की है। फिर भी मेरे पास ऐशो-आराम की जिंदगी जीने के लिए जरूरी हर चीज़ मौजूद है। मैंने ये सब अपनी कोशिशो से हासिल किया है। मैं "सेल्फ मेड मैन" हूँ।" उन्होंने अपने सीने को फुला कर कहा  मैंने चुप रहना ही बेहतर समझा।  लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने फिर वही मुद्दा छेड़ दिया, "शर्मा जी, सर्वोच्च शक्ति नाम की कोई चीज़ नहीं होती। यह मूर्खों की जमात द्वारा बनाया गया वहम है। क्या आप तथाकथ...

तुममे पिघल कर तरना चाहता हूँ

 ✿ तुममे पिघल कर तरना चाहता हूँ ✿ ना मेरा आकार  ना मुझमें विकार  एक शरर हूँ मैं कब से बेक़रार   सफ़र दर सफ़र  कर रहा हूँ  जिस्म हज़ारों  धर रहा हूँ   शक्लें कई कई  बदल रहा हूँ   अब अंजाम ए सफ़र  चाहता हूँ  थक गया हूँ थमना  चाहता हूँ  तुममे पिघल कर तरना  चाहता हूँ  शरर : चिंगारी  अंजाम ए सफ़र : सफ़र का अंत  ~ संजय गार्गीश ~

पर्याप्तता नहीं सन्तुष्टा प्राप्त करें

  एक मध्यवर्गीय परिवार में पैदा होने की वजह से मुझे यह लगता था कि बेशुमार पैसा और पद बेहद ज़रूरी है क्योंकि इनसे हर ख्वाहिश पूरी की जा सकती है। पैसे और पद से ही हर परेशानी से निजात मुमकिन है।  इसलिए इन्हें पाने के लिए मैं मुसलसल कोशिश करता रहता था।  लेकिन जैसे-जैसे मैं सफल लोगों से मिलता गया, मुझे एहसास हुआ कि वे भी मुझसे अलग नहीं थे।  प्रचुर पैसे और बेहतरीन ओहदे पाने के बावजूद भी तकरीबन सभी ज़्यादा से ज़्यादा पाने की होड़ में लगे थे।  पैसा और पद ही उनकी परेशानी की वजह बन रहे थे!  मैंने महसूस किया कि अमूमन कामयाब लोग बीमार है। वे अपनी असीम हवस के बोझ से हरदम थके-थके रहते है।  बेशुमार होने के बावजूद भी बेहद असंतुष्ट रहते है। इसीलिए अब मै पैसे, पद और प्रतिष्ठा से प्रभावित नहीं होता।  मैं अब ब्रांडेड कपड़ों, मोबाइल फोन या अन्य ब्रांडेड वस्तुओं के आधार पर लोगों का मूल्यांकन नहीं करता हूँ।  मेरे मुताबिक़ व्यक्ति अपने विचारों, अपने व्यवहार द्धारा ही पहचाना जा सकता है, ब्रांडेड वस्तुओं से नहीं।  अब सवाल यह उठाया जाता है कि पैसा और ख्वाहिशें कित...