धारणाएँ बनाना गलत है
◦•●◉✿ धारणाएँ बनाना गलत है ✿◉●•◦
कुछ लोगों की आदत होती है कि वे किसी खास धर्म या जाति के साथ कुछ खास गुण जोड़ देते हैं।
उदाहरण के लिए, वे मानते हैं कि सभी मारवाड़ी धन के लालची होते हैं या सभी ब्राह्मण हिंदू शास्त्रों के अच्छे जानकार होते हैं और स्वभाव से सौम्य होते हैं।
मैंने अपने जीवन में बहुत से ऐसे भी मारवाड़ी देखे हैं जिनका दिल बहुत बड़ा था, बेशुमार दान-पुण्य करते थे।
यह धारणा भी बेबुनियाद है, खासकर आज कल के दौर में, कि सभी ब्राह्मण शांत स्वभाव के होते हैं।
इसके विपरीत, मैंने एक लोकप्रिय कहावत सुनी है :
ब्राह्मणों के पूत
कोई जिन्न कोई भूत
शातिर होते बहुत
सामान्यीकरण करना या धारणाएँ बनाना अकलमंदी नहीं है।
मुझे याद है कुछ समय पहले मेरे एक जानकार को वहम हो गया कि मुझे ज्योतिष का इल्म है।
उन्होंने कहा, "शर्मा जी, आप ब्राह्मण हो। आप भगवान श्री कृष्ण जी के गुरु और ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता महर्षि गर्गाचार्य जी के कुल में पैदा हुए हो। इसलिए मुझे यकीन है कि आपको ज्योतिष के बारे में अवश्य जानकारी होगी। कृपया आप मेरी हस्तरेखा देख कर मेरे भविष्य के बारे में कुछ बताएं।"
अमूमन इंसान भविष्य के बारे में तभी उत्सुक रहता है जब उसका वर्तमान ठीक नहीं होता।
वर्तमान हो या भविष्यकाल, सब हमारे भूतकाल में किए कर्मों पर निर्भर करता है।
यह गणना लगाना बेहद मुश्किल है, अगर नामुमकिन नहीं, कि कौन सा कर्म कब और कैसे फलीभूत होगा।
बेहतर यही है कि हम अपने वर्तमान को ही तवज्जो दें, वर्तमान में कर्म सही रखें ताकि भविष्य की दिशा अनुकूल हो।
हकीकत यह है कि ग्रह, नक्षत्र भी कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं।
जब मैंने उनसे कहा कि मैं ज्योतिष के बारे में उतना ही जानता हूँ जितना मैं इस क़ायनात को जानता हूँ, तो वह कुछ रुष्ट हो गए। उन्हें लगा कि मैं झूठ बोल रहा हूँ, पिंड छुड़ा रहा हूँ।
जब उन्होंने हठ किया तो मैंने उनसे कहा, "देखिए मैं आपको रुष्ट नहीं करना चाहता। वैसे तो मैं किसी की भी हस्तरेखा नहीं देखता, पर आज पहली और आखिरी बार आपका हाथ देखूँगा। और हाँ मैं जो कुछ भी आपके भविष्य के बारे में कहूँगा वह अटल होगा।"
मैंने उनका लड़कियों जैसा कोमल हाथ पकड़ा, गहनता से रेखाओं का अध्ययन करने का अभिनय करने लगा।
कुछ समय पश्चात मैंने कहा, "मुझे आपके भविष्य के बारे में पता चल गया है।'
बहुत उत्सुकता से उन्होंने पूछा, "मेरा भविष्य कैसा है?"
उनकी उत्सुकता को और बढाने के लिए मै उनकी ओर कुछ समय टकटकी लगाकर देखता रहा और फिर मुस्कुरा कर कहा, "आपका भविष्य अनिश्चित है।"
~ संजय गार्गीश ~
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