साथी बहुत है मेरे
साथी बहुत है मेरे
रातें घनेरी उजले सवेरे
फूलों से उलफ़त है मुझे
कांटे सब है मेरे
छांव हम-नवा है मेरी
और धूप साथ है मेरे
यह धरती घर है मेरा
मेरे अंबर में है बसेरे
साथी बहुत है मेरे
उलफ़त : प्यार, हम-नवा : समर्थक
~ संजय गार्गीश ~
साथी बहुत है मेरे
रातें घनेरी उजले सवेरे
फूलों से उलफ़त है मुझे
कांटे सब है मेरे
छांव हम-नवा है मेरी
और धूप साथ है मेरे
यह धरती घर है मेरा
मेरे अंबर में है बसेरे
साथी बहुत है मेरे
उलफ़त : प्यार, हम-नवा : समर्थक
~ संजय गार्गीश ~
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