कुछ उम्मीदें कुछ आस पास रहे
◉✿ कुछ उम्मीदें कुछ आस पास रहे ✿◉
हाथ में देर तलक गिलास रहे,
जब यह दिल बहुत उदास रहे।
आज वोह याद बेहिसाब आए,
आज वोह मेरे आस-पास रहे।
उसका मिलना कुछ मुहाल नहीं,
उसके मिलने की बस प्यास रहे।
ना-उम्मीदी की स्याह रातों में,
कुछ उम्मीदें कुछ आस पास रहे।
हाथ में देर तलक गिलास रहे,
जब यह दिल बहुत उदास रहे।
मुहाल : मुश्किल, स्याह : काली
~ संजय गार्गीश ~
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