जादू और जादूगर में फ़र्क़
यदि हमारे मुल्क में रिश्वतखोरी, बदचलनी, चोरियों ठगीयों में बेइंतहा, बेखौफ इज़ाफ़ा हो रहा है तो इसकी अहम वज़ह है स्कूलों, कालेजों में अध्यात्मिक शिक्षा का ना होना। कालेजों, यूनिवर्सिटीयों की पढ़ाई ख़ुद-ग़रज़ों की भीड़, रूपये छापने की मशीनें तो तैयार सकती है, पर नेक इंसान हरगिज़ नहीं। मेरी कोशिश रहती है कि मैं नई नस्ल को अध्यात्म की जानकारी दे सकूँ ताकि उसे सही गलत का इल्म हो। शायद इस तरह मैं मुल्क के प्रति अपने फर्ज़ को अदा कर सकूँ। कल शाम जब मैं सैन्य अधिकारियों के बच्चों को संबोधित कर रहा था तो एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति खड़ा हो कर बोला, "सर, जिंदगी मुझ पर बेशुमार मेहरबान रही है। मै भारत सरकार में गजेटेड ऑफिसर हूँ, चंडीगढ़ में दो कोठियां है, बच्चे मुम्बई, चेन्नई में अच्छे ओहदों पर है। धन-दौलत सब कुछ है। फिर भी जिंदगी में बहुत सूनापन है। ऐसा क्यों?" "सर, ऐसा इसलिए क्योंकि आपने सिर्फ भ्रम को ही पकड़ रखा है - अच्छी नौकरी, बच्चे, धन-दौलत इत्यादि। जब तक आप सच्चाई से अवगत नहीं होंगे, आपकी ज़िंदगी में खालीपन ही रहेगा।" "तो सच्चाई क्या है, सर?"...